चरण पादुका योजना 2025: जंगल के रास्तों पर आदिवासियों के स्वाभिमान की वापसी

छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में रहने वाले तेंदूपत्ता संग्राहक आदिवासी परिवारों की जिंदगी में एक बार फिर उम्मीद की नई किरण जगी है। 2005 में शुरू हुई चरण पादुका योजना, जो बीच में बंद कर दी गई थी, अब फिर से पूरी गरिमा और संवेदनशीलता के साथ शुरू हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दुर्ग जिले के जामगांव में आयोजित कार्यक्रम में महिला तेंदूपत्ता संग्राहकों को स्वयं चरण पादुका पहनाकर बहुप्रतीक्षित “चरण पादुका योजना” का पुनः शुभारंभ किया।

यह योजना सिर्फ एक जोड़ी चप्पल देने की योजना नहीं, बल्कि आदिवासी श्रमिकों के स्वाभिमान, सुरक्षा और सम्मान की पुनर्स्थापना है।

चरण पादुका योजना क्या है?

2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य था:

“जंगल में नंगे पैर चलने वाले आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों को कांटों, कीड़ों, गर्मी और चोटों से बचाने के लिए मुफ्त चप्पल और जूते देना।”

  • 2008 में महिलाओं को भी योजना में शामिल किया गया
  • 2013 से पुरुषों को जूते और महिलाओं को चप्पल वितरित करने की परंपरा शुरू हुई
  • अब 2025 में 12.4 लाख संग्राहक परिवारों की महिलाओं को चप्पल दी जाएगी
  • इस योजना पर कुल 40 करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा

कांग्रेस ने क्यों बंद की थी यह योजना?

2018 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद इस योजना को यह कहकर बंद कर दिया गया कि:

  • इसे “कमीशन पादुका योजना” में बदल दिया गया था
  • जूते-चप्पल की गुणवत्ता खराब थी
  • यह सिर्फ राजनीतिक दिखावा था

कांग्रेस सरकार ने इसके स्थान पर नकद बोनस वितरण शुरू किया। हालांकि, कई आदिवासी संग्राहकों का कहना था कि जंगल में काम के दौरान सुरक्षा के लिए जूते-चप्पल ही ज्यादा जरूरी हैं।

वह ऐतिहासिक पल: जब पीएम मोदी ने पहनाई थी चप्पल

14 अप्रैल 2018, बीजापुर के जांगला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आदिवासी महिला रानी बाई को स्वयं चप्पल पहनाई थी। यह क्षण भावनात्मक और ऐतिहासिक था, जिसने इस योजना की महत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

2023 के चुनावी वादे और “मोदी की गारंटी”

भाजपा ने 2023 विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि:

  • तेंदूपत्ता की खरीदी 5500 रुपये प्रति बोरा में होगी
  • 4500 रुपये बोनस मिलेगा
  • चरण पादुका योजना फिर से शुरू की जाएगी

अब 2025 में यह सभी वादे मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में पूरे किए जा चुके हैं।

पात्रता और लाभार्थी विवरण

पात्रताविवरण
लाभार्थीतेंदूपत्ता संग्राहक परिवार के सदस्य
आयु18 वर्ष या उससे अधिक
लिंगपुरुष और महिला दोनों (वर्तमान में महिलाओं को प्राथमिकता)
अधिकतम सदस्यएक परिवार से अधिकतम दो
मूल निवासछत्तीसगढ़ राज्य के निवासी

योजना का प्रभाव

सुरक्षा में सुधार – कांटे, गर्मी, कीड़े, चोटों से बचाव
स्वाभिमान की पुनर्स्थापना – आदिवासी समुदाय को सम्मान
राजनीतिक वादे की पूर्ति – “मोदी की गारंटी” साकार
12.4 लाख परिवार लाभान्वित – व्यापक सामाजिक असर
सीधे वितरण – पारदर्शिता के साथ

निष्कर्ष

चरण पादुका योजना 2025 सिर्फ एक सामाजिक योजना नहीं, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के आदिवासी श्रमिकों के प्रति एक भावनात्मक, ऐतिहासिक और नैतिक जिम्मेदारी की पूर्ति है। मुख्यमंत्री साय और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह योजना फिर से जनजीवन में गरिमा, सुरक्षा और भरोसा लेकर आई है।

जंगल की पगडंडियों से होते हुए यह चप्पल अब एक नई दिशा की ओर बढ़ चली है — जहां सम्मान, स्वाभिमान और सुरक्षा साथ चलते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

चरण पादुका योजना क्या है?

यह योजना तेंदूपत्ता संग्राहकों को हर साल जूते या चप्पल देने के लिए शुरू की गई है, जिससे उन्हें जंगलों में काम करते समय सुरक्षा मिले।

योजना का लाभ किन्हें मिलेगा?

छत्तीसगढ़ के 18 वर्ष से ऊपर के तेंदूपत्ता संग्राहक – पुरुष एवं महिलाएं।

यह योजना पहले क्यों बंद हुई थी?

कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर इसे 2018 में बंद कर दिया था।

इस बार कितने लोगों को लाभ मिलेगा?

12 लाख 40 हजार संग्राहक परिवारों की महिलाओं को लाभ दिया जाएगा।

चरण पादुका योजना कब शुरू हुई थी?

2005 में, डॉ. रमन सिंह सरकार के समय।

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